Mutual Funds: SIP करें या Lumpsum...लेकिन निवेश के समय इन 6 बातों को न करें इग्नोर
आपने म्यूचुअल फंड्स से मिलने वाले प्रॉफिट के बारे में तो काफी सुना होगा, लेकिन शायद इसके रिस्क फैक्टर्स को अभी न समझते हों. मार्केट लिंक्ड इस स्कीम में कई जोखिम भी हैं, इसलिए अगर आप म्यूचुअल फंड्स के फर्स्ट टाइम निवेशक हैं तो खासतौर पर इससे जुड़ी कुछ बातों को आपको जान लेना चाहिए.
Mutual Funds Investment: म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) में दो तरह से निवेश किया जाता है, एक तरीका है SIP, जिसमें हर महीने एक निश्चित अमाउंट मार्केट में इन्वेस्ट किया जाता है. वहीं दूसरा तरीका है Lumpsum, जिसमें एकमुश्त पैसा म्यूचुअल फंड्स में लगाया जाता है. आमतौर पर SIP के जरिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश का तरीका ज्यादा लोकप्रिय है. आप चाहे जिस तरह से निवेश करें, लेकिन निवेश करने से पहले कुछ जरूरी बातें समझ लें क्योंकि आपने म्यूचुअल फंड्स से मिलने वाले प्रॉफिट के बारे में तो काफी सुना होगा, लेकिन शायद इसके रिस्क फैक्टर्स को अभी न समझते हों. मार्केट लिंक्ड इस स्कीम में कई जोखिम भी हैं, इसलिए अगर आप म्यूचुअल फंड्स के फर्स्ट टाइम निवेशक बनने जा रहे हैं तो खासतौर पर इससे जुड़ी कुछ बातों को आपको जान लेना चाहिए, ताकि बाद में आपको किसी तरह का नुकसान न उठाना पड़े.
फंड्स का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण
म्यूचुअल फंड्स का सबसे बड़ा रिस्क खुद शेयर बाजार ही है. हालांकि इसमें जोखिम इस पर निर्भर करता है कि आपका पैसा किस तरह के फंड में इन्वेस्ट किया गया है. लार्जकैप या ब्लूचिप फंड्स में पैसा लगाने पर जोखिम कम हो सकता है, लेकिन अच्छे रिटर्न की संभावना के साथ स्मॉलकैप फंड्स में पैसा लगा रहे हैं, तो ये ध्यान रहे कि मार्केट की गिरावट में इसमें नुकसान की संभावना बढ़ जाती है.
ब्याज दरों में बदलाव भी बड़ा जोखिम
डेट म्यूचुअल फंड्स के लिए ब्याज दरों में बदलाव भी एक बड़ा जोखिम है. इसमें बेहतर रिटर्न पाने के लिए आपको स्कीम के चुनाव के लिए दरों में बढ़ोतरी या कटौती के साथ कई अन्य बातों को भी देखना होता है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि डेट फंड तब बेहतर प्रदर्शन करते हैं जब ब्याज दरें गिरती हैं.
सीधे स्टॉक की तुलना में कम है रिस्क
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मार्केट की अनिश्चितता की स्थिति में भी म्यूचुअल फंड में जोखिम कम माना जाता है. इसका बड़ा कारण है कि म्यूचुअल फंड का पैसा Fund Manager के अनुभव के आधार पर निवेश किया जाता है. इससे बेहतर रिटर्न का चान्स बढ़ जाता है और सीधे स्टॉक में निवेश करने के मुकाबले रिस्क काफी कम हो जाता है. लेकिन ये जोखिम पूरी तरह खत्म नहीं होता.
ऐसे करें अपने रिटर्न को बेहतर
म्यूचुअल फंड्स में कई तरह की स्कीम्स होती हैं. कौन सी स्कीम से आपको अच्छा मुनाफा मिल सकता है, इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह बहुत जरूरी है क्योंकि जिस स्कीम में आप निवेश करने जा रहे हैं, अगर वो स्कीम पहले से काफी अच्छे रिटर्न दे रही हो तो उस पर तेजी से बढ़ रही महंगाई का खास असर नहीं होगा और आप फायदे में रहेंगे, लेकिन जिस स्कीम में आपने निवेश किया है, उसमें रिटर्न कम है तो महंगाई की वजह से उनका वास्तविक मूल्य कम हो जाता है. ऐसे में आप बहुत मुनाफे में नहीं रहते. यही वजह है एक्सपर्ट्स अलग-अलग जोखिम और रिटर्न के आधार पर अलग अलग स्कीम में निवेश करने की सलाह देते हैं. ताकि आपका औसत रिटर्न अच्छा रहे.
ऐसे चुनें बेस्ट म्यूचुअल फंड्स
बेस्ट म्यूचुअल फंड की दावेदारी करने वाले शीर्ष दावेदारों की लिस्ट बनाएं और उनकी तुलना करें. आप किस लक्ष्य के लिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर रहे हैं, ये ध्यान में रखते हुए ये चेक करें कि आपकी जरूरतों को कौन पूरा कर रहा है. उनकी हिस्ट्री, एक्सपेंस रेश्यो, फंड मैनेजर हिस्ट्री आदि की तुलना करें. इससे आपको अपनी जरूरत के हिसाब से बेस्ट SIP का चुनाव करने में काफी मदद मिलेगी.
फाइनेंशियल एडवाइजर से परामर्श लें
अगर आपको म्यूचुअल फंड में निवेश करने का जरा भी आइडिया नहीं है, या ऊपर बताए सारे निर्देशों को फॉलो करने के बाद भी आप कोई डिसीजन नहीं ले पा रहे हैं, तो आप फाइनेंशियल एक्सपर्ट से बात करें. वो आपको आपकी जरूरत के हिसाब से बेस्ट एसआईपी का चुनाव करने में मदद करेंगे. अगर आप अपने लिए सही एसआईपी का चुनाव करेंगे तो आपको रिटर्न बेहतर मिलेगा और कभी पछतावा नहीं होगा.
08:36 AM IST